आजकल महिलाओं को लगता है कि सिजेरियन ऑपरेशन से डिलीवरी करवाना ज्यादा आसान है क्योंकि इसमें नॉर्मल डिलीवरी की तरह दर्द कम होता है लेकिन आपको बता दें कि नॉर्मल डिलीवरी शरीर के लिए ज्यादा सही होती है और इसके बाद रिकवर करने में भी कम समय लगता है। पहली बार मां बनने पर अक्सर महिलाएं इस असमंजस में रहती हैं कि नॉर्मल डिलीवरी या सिजेरियन ऑपरेशन में से उनके लिए क्या बेहतर रहेगा? और वो किस तरह से जान सकती हैं कि उनकी डिलीवरी कैसे होगी। अगर आप प्रेगनेंट हैं और जानना चाहती हैं कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी होगी या सिजेरियन, तो प्रेग्नेंसी में मिलने वाले कुछ संकेतों से आप इस सवाल का जवाब पा सकती हैं। इसमें वजाइना से शिशु को जन्म दिया जाता है। इस तरह की डिलीवरी में कोई सर्जरी नहीं होती है। अधिकतर महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी ही होनी चाहिए क्योंकि इसके बाद रिकवर करने में कम समय लगता है। अगर कोई मेडिकल समस्या न हो तो नॉर्मल डिलीवरी ही करवाई जाती है।डिलीवरी की डेट से कुछ हफ्ते पहले आपको बदलाव नजर आ सकते हैं। हालांकि, हर महिला में प्रेग्नेंसी के लक्षण और समस्याएं भी अलग होती हैं इसलिए डिलीवरी के लक्षण एवं संकेत भी भिन्न हो सकते हैं। प्रसव से एक से चार हफ्ते पहले डिलीवरी के ऐसे संकेत मिल सकते हैं : शिशु के पेल्विक हिस्से में आ जाने की वजह से उसकी मूवमेंट में कमी आना। रिलैक्सिन हार्मोन पेल्विक हिस्से के जोड़ों और लिगामेंट को रिलैक्स और मुलायम कर देता है जिससे जोड़ ढीले महसूस होने लगते हैं। शिशु के सिर से मूत्राशय पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से बार-बार पेशाब आता है। ब्रैक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन, ये डिलीवरी से पहले प्रसव जैसा दर्द या संकुचन होता है। पीठ के निचले हिस्से के जोड़ों और मांसपेशियों में खिंचाव के कारण ऐंठन और दर्द। गर्भाशय ग्रीवा का चौड़ा हो जाना, चेकअप के दौरान डॉक्टर इस बात को नोटिस करते हैं। डिलीवरी के लिए गुदा की मांसपेशियों का रिलैक्स होना शुरू होता है जिससे पतला मल आने लगता है
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